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""वू बि क्य दिन छै"

 



काका हुक्को पाणि भुरण,

सजल्या मा आग धरण,

चुपिक द्वी सोड़ मारण ।

वू बि क्य दिन छै। ।

 

पुंगड़ि मा फल्द मारण,

गौर बाखरु पैथर नाचण,

बल्दो पूंछ पकड़ि भागण ।

वू बि क्य दिन छै। ।

 

पाऽटि बौलख्या काँद लटकाण,

भ्याल हि भ्याल अटकण ।

इस्कूलम मास्टर जिक पिटण,

वू बि क्य दिन छै । ।.

 

इस्कूलि छोड़ उड्यार लुकण,

घसियारुंक खुदेड़ गीत सुणण।

गुरजीक भ्यूंलो सोटिन पिटण ।

वू बि क्य दिन छै। ।

 

ढण्डि नंगि फाऽल मारणि

लिम्बू, काखड़ि, नरंगि चूरणि।

ब्वैन तब कंडालिन झपौणि,

वू बि क्य दिन छै। ।

 

ग्वाठक झगलु खल्लो झुलण,

राति दाऽल ढुंगल ठूसण।

सुबेर पल्लों टाट सरण।

वू बि क्य दिन छै। ।

 

कल्यो र्वटि कंडि बुगण,

तिमला पत्तों मा खाणम।

मूलाऽ-पिण्डालू वू स्वाद ,

घ्यू चुपण्यूं अबनि मिलण।

वू बि क्य दिन छै । ।

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