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घटगंजगंजौ बल मि क्य छौं? PUZZLE-31 JAGMOHAN SINGH RAWAT 'JAGMORA''. GARHWALI PUZZLE


घटगंजगंजौ बल मि क्य छौं?

PUZZLE-31

JAGMOHAN SINGH RAWAT 'JAGMORA''.

GARHWALI PUZZLE

रूड्युं  घाम  म   तड़तड़ो 

हुंद  जु  बसग्याळि  घड़ो

वु ह्युंद आंदै  हि  उतंणा 

लड़ि कि  माभारत  लड़ो

जु घड़ा म फंसी गजमुंड

जिठजिकि ह्वाइ ढ़ुंढ़ाढ़ुंढ़

बल गौलि कैकि निरमुंड

करा फिर  घड़ै  खंडमंड

भावार्थ

अलाणि-फलाणा (अमुक) गंजगंजो‌ बाड़ी यानी दो‌ किस्म के‌ आटे यानी गेंहू‌ के‌‌ और‌ कोदे के चून के‌ मिश्रित फीके‌ हलवे या फिर शहरों में रहने वाले दो‌ जातियों के मिश्रण से उपजी औलाद या फिर नरसिंह भगवान की तर्ज पर अमुक नर‌ और अमुक  राक्षसनी से जन्मे जातक की भूमिका स्वरूप पहेली‌ के प्रथम चरण में अपनी बात को‌ आगे रखते हुए आगे कहता है कि‌ बल रूड्युं घाम (गर्मियों की‌ तेज धूप‌) में तड़तड़ो (तेज गर्मी में आहत),‌ होता है जो‌ बसग्याळि (बरसाती यानी पानी से भरा) घड़ा, वह ह्युंद (सर्दियां) आते ही उतंणा (उल्टे मुंह), लड़कर माभारत (महाभारत यानी मातृभूमि की मिट्टी के अस्तित्व की लड़ाई) लड़ा। अमुक अपनी बात‌ को पजलकार के‌ कथनानुसार कहता है कि किसी गाँव में केवल ज्येठ जी ही समझदार थे, जो‌ सब बहुओं की समस्या का निदान‌ बताया करते थे, तो‌‌ एक दिन एक‌ बहू के‌ बड़े घड़े में प्यासे हाथी के‌ बच्चे का मुंह फंस जाता है, तो‌ बहू समाधान‌ हेतु ज्येठ जी के पास आती है, तो‌ बल जो घड़े में फंसा गजमुंड, तो जेठजी की हुई ढ़ुंढ़ाढ़ुंढ़ (खोज‌ खबर), तो ज्यैठ जी समाधान हेतु सलाह देते हैं‌ कि‌ बल गला करके निरमुंड (सिर को‌ धड़ से अलग), करो फिर घड़े का खंडमंड (टुकड़े-टुकड़े), यानी बहू ने जेठ जी की सलाह पर अमल करते हुए पहले‌ हाथी के बच्चे का सिर धड़ से अलग करती है, और फिर‌ घड़े को फोड़ कर बहू चैन की सांस लेती है। 


जु बल जिठजि नी  हूंदा

त काम बिगड़ि ग्यै  छाइ

दिमगि  मगजि  नी  हूंदा

जिठजी बिरड़ि ग्यै  छाइ

जु भीम हाथि जन बलि

बणिग्यै हिडिंबा घरवलि

त नौनु जन्मदा ही खलि

निकल बालोंकी दिवलि

भावार्थ

अमुक भ्रामकता‌ के‌ मकड़जाल में फंसाते हुए पहेली‌ के दूसरे भ्रामक चरण मेंं अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहता है कि जो बल जेठजी नहीं होते, तो काम बिगड़ गया था, और ज्येठजी के दिमाग में मगजी (गूदी) नहीं होती, तो ज्येठ जी न्याय की राह पे बिरड़ि (राह से भटक) गए थे। अमुक अपनी बात को महाभारत के भीमसेन (पांडव) और हिडिंबा (हिंडब राक्षस की बहन) राक्षसी के प्रेम प्रसंग का जिक्र करते हुए कहता है कि बल जो भीम हाथी जैसा बलि (बलिष्ठ), तो‌ आसक्ति में बन गई हिडिंबा घरवलि (पत्नी), तो नौनु (लड़का) जन्मते ही खलि (सुप्रसिद्ध भारतीय खली जैसा खलीफा पहलवान), निकली बालों की दिवलि (दिवालियापन), यानी भीमसेन हिडिंबा का पुत्र पैदा होते ही खली‌ की तरह बलशाली‌ लेकिन गंजा निकला है। 


जु बल घटोत्कच ह्वाया

वु घड़ा सि गंजा  ह्वाया

त  बल  देशी  न  पाड़ी

जनकि गंजगंजो बाड़ी

भीम हिडिंबा को  मेल

ह्वै  बल   तूफान   मेल

त बल श्यामखाटू  की

ह्वै   बरबर्री   की   बेल

भावार्थ

अमुक भ्रामकता‌ के मकड़जाल से बाहर निकाल कर वेबसाइट स्वरूप पहेली‌ के ज्ञानमयी तीसरे चरण में संवेदनात्मक एवं भावनात्मक स्वरूप अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहता है कि जो बल घटोत्कच (महाभारत‌ का एक पात्र) हुआ, वह घड़ा सा गंजा  हुआ, यानी घट यानी घड़ा/गजमुंड और उत्कच यानी बगैर बालों का, तो बल देशी न पहाड़ी, जैसा कि गंजगंजो बाड़ी (कोदे के चून और आटा मिक्स्ड कल्चरड जाति)। अमुक अपनी बात को‌ पुनः आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल भीम और हिडिंबा‌ राक्षसी का मेल, हुआ बल तूफान मेल, तो बल श्यामखाटू की, हुई बरबर्री की बेल, यानी बरर्बरी (बब्बर शेर‌ की तरह भीम का वशंज, जिसका सिर श्री कृष्ण ने काटा था, लेकिन बाद में अपने स्वरूप उसे 'खाटू श्याम' के नाम से राजस्थान के सीकर जिले में स्थापित किया। 


बल भीमसेन  को  वंश

छौं मैं हिडिंबा को अंश

त मिन  कौरवौं    सेना

कै लक्षमणकुमार ध्वंस

द्रोपदी  को  छल्यूं‌  ‌ छौं

ता मि कर्ण को मर्यूं छौं

घाटौ सि मगरमच्छ छौं

घटगंजगंजौ बलक्यछौं?

भावार्थ

अमुक पहेली के चौथे अंतिम निर्णायक चरण में अपनी संरचनात्मक एवं गुणात्मक विशेषताओं का बखान करते हुए आगे कहता है कि बल भीमसेन का वंश, है वह (अमुक) हिडिंबा का अंश, तो अमुक ने कौरवों की सेना, किया लक्षमण कुमार (दुर्योधन का पुत्र) ध्वंस, तो बल वह द्रोपदी का छल्यूं‌ (शापित) ‌है, तो वह कर्ण का मर्यूं (मारा हुआ) है। अंत में अमुक पहेली के अनुसार प्रश्नात्मक शैली में कहता और पूछता है कि बल घाट का सा वह मगरमच्छ (मगर और मछली की मिक्स्ड प्रजाति का जातक) है, तो बताओ कि घटगंजगंजौ (मिक्स्ड कल्चर्ड घड़े/गजमुंड जैसा विशालकाय बलशाली गंजा) बल‌ वह क्या है?

जगमोहन सिंह रावत 'जगमोरा'

प्रथम गढ़गीतिकाव्य पजलकार

मोबाइल नंबर-9810762253


नोट:- पजल का उत्तर एक शातिर चित्तचोर की तरह अपनी ओपन निशानदेही के चैलेंज के साथ छंदबद्ध स्वरूप पजल में ही अंतर्निहित तौर पर छिपा हुआ होता है

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