जलपरी सि क्य छौं?
PUZZLE-32
JAGMOHAN SINGH RAWAT 'JAGMORA''.
GARHWALI PUZZLE
जठराग्नि सणी
अन्नदेवि बुझा
त बणांग्नि सणी
वनदेवि बुझा
मिर्गतृष्णा सणी
जलपरी बुझा
त पणांग्नि सणी
क्वो देवि बुझा
जंगल मा रैकि
बब्बर से बैर
न जल मा रैकि
मगर से बैर
किद्लु गुरौ सौर
तक्णैतक्णै म्वौर
माछु म्यरि सौर
भैर ऐ म्वौर
जैल नी काइ
अगर अर मगर
भगीरथ छाइ
परयास सगर
गंगौ तैर्वाक
छौं पर नि शार्क
भुमि म लो वॉक
करदु हाइ वॉक
र्व घड़िघड़ि सासु
घड़ियालि आंसु
बल गिरगिट जनु
मि रंग नि बदलदु
मगर मछलि जनु
जलपरि निबणदु
सागर कच्छ छौं
जलपरीसि क्यछौं?
शब्दार्थ
जठराग्नि सणी: पेट की आग को अन्नदेवि: अन्नपूर्णा बणांग्नि: वन की आग मिर्गतृष्णा: रेगिस्तानी मृग की प्यास जलपरी: मतस्यकन्या पणांग्नि सणी क्वो देवि बुझा: पानी की आग को कौन देवी बुझाए? बब्बर: बब्बर शेर किद्लु गुरौ सौर, तक्णैतक्णै म्वौर: केंचुआ सांप की नकल अकड़ अकड़ चलके मरे, माछु म्यरि सौर, भैर ऐ म्वौर: मछली अमुक की नकल पानी से बाहर आकर मरे अगर अर मगर : इफ एंड बट्स भगीरथ छाइ परयास सगर: सगर के वशंज भगीरथ ऋषि का गंगा के अवतरण का भगीरथ प्रयास (अथक प्रयास) था तैर्वाक : तैराक र्व: रोये सागर कच्छ: गुजरात का एक समुद्री तट जलपरी सि: मत्स्यकन्या सी
जगमोहन सिंह रावत 'जगमोरा'
प्रथम गढ़गीतिकाव्य पजलकार
मोबाइल नंबर-9810762253
नोट:- पजल का उत्तर एक शातिर चित्तचोर की तरह अपनी ओपन निशानदेही के चैलेंज के साथ छंदबद्ध स्वरूप पजल में ही अंतर्निहित तौर पर छिपा हुआ होता है
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