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तिलकधारी बल मि क्य छौं??पजल-10 जगमोहन सिंह रावत 'जगमोरा'. GARHWALI PUZZLE

 


तिलकधारी बल मि क्य छौं?? पजल-10-जगमोहन सिंह रावत

जो   सूनुं   दगड़    गौदान

करु जौ तिल को अन्नदान

वो    बल  राजा  समान

होंद दिल को बल भग्यान

बल जौं दिलों मा मेल  नि

वौं दिलों मा कड़ु तेल  नि

अर जौ तिलों मा तेल  नि

वौं तिलों मा मिठु तेल  नि

भावार्थ

अलाणा-फलाणा (अमुक) अपनी तिलकधारी (यानी तीन लक धारी श्री स्वरूपा यानी तीन देवियों, सरस्वती स्वरूपा बुद्धिमत्ता प्रदान करनेवाली, लक्ष्मी स्वरूपा धनधान्य से शौभाग्यशाली जीवन प्रदान करने वाली और शक्ति अन्नपूर्णा स्वरूपा अन्नदान से फलीभूत करने वाली) लुणत्यळि (लूण तेल युक्त) मेहनतकश जिंदगी की भूमिका स्वरूप अपनी बात को पहेली के प्रथम चरण में आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल जो सोने के साथ गौदान (विवाह के शुभ अवसर पर गाय के बछड़े का दान), करे जौ तिल का अन्नदान,‌ वह तो बल राजा समान, होता है दिल का बल भग्यान (भाग्यवान), क्योंकि बल जौं (जिन) दिलों में मेल नहीं, वौं (उन) दिलों में कड़ा तेल नहीं, यानी सरसों का कड़वा तेल दिल के लिए लाभदायक होता है, और जौ तिलों में तेल नहीं, वौं (उन) तिलों में मीठा तेल नहीं, यानी अमुक मीठे तेल के नाम से जाना जाता है।

 

अगर बल दुणत्यळो होंण

त बल दलहन जरुर बोंण

अर अगर लुणत्यळो होण

तबल तिलहन जरुर बोंण

दलवड़ौं म दलहन नि ह्वा

तिलवड़ौंम तिलहन निह्वा

टीरि ब्योलि त्योल निपिरा

बद्रि कु दीपिकार्चन निह्वा

 

भावार्थ

अमुक भ्रामकता के मकड़जाल में फंसाते हुए अपनी बात को पहेली के दूसरे भ्रामक चरण में आगे बढ़ाते हुए कहता है कि अगर बल दुणत्यळो (डबल गुणों वाला) होना है, तो बल दलहन (दालें) जरूर बोना है, और अगर लुणत्यळो (लूण तेल आधारित मेहनती) होना है, तो बल तिलहन जरूर बोना है, क्योंकि बल दलवड़ौं (दाल के खेतों) में दलहन नहीं होए, तो बल तिलवड़ौं (तिल के खेतों) में तिलहन नहीं होए, और बल टीरि ब्योलि (टेहरी राज घराने की दुल्हन) तेल नहीं पिरोए (हुणेटुओं में तिल के पीना को मुठ्ठी से भींचकर शुद्ध तेल निकालने की पारंपरिक विधि से), तो बद्रीनाथ जी का दीपिकार्चन (दीपक की जोत आरती अर्चना) नहीं होए।

 

तिलवाड़ौ   त्योल    देखा  

त्योलै   की   धार    देखा

गढ़    तीलु  धार   देखा

रौंत्येली      धार      देखा

बल जु  ह्यूंद  मा  जलोई

त्योल ल्गै नयार नि उतरु

त बल नि ह्वावु जल लोई

निमोन्या बुखार नि  उतरु

 

भावार्थ

अमुक भ्रामकता के मकड़जाल से बाहर निकाल कर वेबसाइट स्वरूप पहेली के तीसरे ज्ञानमयी चरण में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल तिलवाड़ा (चमोली गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले का एक गाँव जो तिल की सुरक्षित खेती के नाम से सुप्रसिद्ध है, और जहां के तिलों‌ के तेल से अगस्त्यमुनि केदारनाथ में दीपिकार्चन होता है) का तेल    देखो, तेल की धार देखो, यानी पहले परिणाम देखो, फिर सोच समझकर उचित फैसला करो, और बल गढ़वाल में तीलु धार   देखो, यानी गुराड़ (पौडी जिले के चौंदकोट क्षेत्र) की रानी लक्ष्मीबाई के नाम से जाने वाली वीरांगना तीलू रौंत्येली, जिसने कत्यूरी राजाओं को प्राणों की आहूति देकर हराया, में तीलु धार देखो, यानी तीलू रौंत्येली ने तिल वाले मुखड़े पर जीत का तिलक धारण कर हाथ में गंगाजल में जौ तिल की मंत्रणा स्वरूप जीत की कसम खाकर तिल के खेतों की धार (चोटी) में 'तिलु धार' यानी जीत की मिशाल कायम करके बोला, देखो, रौंत्येली धार (हरी भरी रमणीक पहाड़ी चोटी) देखो। अमुक अपनी बात को पुनः आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल जो ह्यूंद (बर्फीले सर्दियों के मौसम‌ में जलोई (जाल बिछाने वाले मछुआरे), तेल लगाकर नयार (नदी) में नहीं उतरे, तो बल नहीं होए जल लोई (अमुक की मालिस) करने से जल भी गर्म लोई (शाल) की ओढ़नी का गरमागरम ऐहसास देता है, तो बल निमोनिया बुखार नहीं उतरे, यानी अमुक के इस्तेमाल से निमोनिया का खतरा नहीं रहता है।

 

कोदा   दगड़   मेरि   खेति

झंगोरा   बल   मेरि    मैति

इलै    कोदु  जनु  काळो

मि  गौरा  जनु  गुणत्याळो

गौरा क गल्वड़ों  का  तिल

अर्द्धनारीश्वर शिव कातिल

तिलवाड़ौ बल मि दिल छौं

तिलकधारी बल मि क्यछौं?

 

भावार्थ

अमुक पहेली के चौथे अंतिम निर्णायक चरण में अपनी संरचनात्मक विशेषताओं का बखान करते हुए आगे कहता है कि बल कोदा (मंडुआ) के साथ अमुक की खेती, तो झंगोरा (समा के चावल)बल अमुक के मैती (मायके वाले), इसीलिए तो कोदे जैसा काळो (यानी अमुक शिव श्यामा की तरह श्यामल भोला भाला है), वह (अमुक) गौरा जैसा  गौरवर्ण गुणत्याळो (अन्नपूर्णा स्वरूप गुणवान), तो बल गौरा माता के गल्वड़ों (गालों) का तिल, अर्द्धनारीश्वर शिव कातिल, यानी अमुक अर्द्धनारीश्वर स्वरूप शिवशक्ति दोनों के गोरे काले रंगों से सुशोभित है। अंत में अमुक पहेली अनुसार कहता और पूछता है कि तथाकथित तिलवाड़ा का बल वह दिल है, यानी अमुक में आत्मसात होकर दिल जवान और मजबूत होता है, तो बताओ कि तथाकथित तिलकधारी (तीन लकधारी/भाग्यशाली त्रिदेवियों के समान श्रीश्रेष्ठ) बल वह क्या है?

 

जगमोहन सिंह रावत 'जगमोरा'

प्रथम गढ़गीतिकाव्य पजलकार

मोबाइल नंबर-9810762253

 

नोट:- पजल का उत्तर एक शातिर चित्तचोर की तरह अपनी ओपन निशानदेही के साथ छंदबद्ध स्वरूप पजल में ही अंतर्निहित तौर पर छिपा हुआ होता है

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