सफर
तुझे क्या हो गया
क्यों नाराज है तू खुद से
क्या करूं, क्या ना करूं?
आज फिर बोल दे तू खुद से
बिलकुल करीब है वो
अनुभव ऐसा क्यों हो रहा है
कौन है वो ? अहसास
जो मेरे भीतर से बोल रहा है
तू इतनी दूर क्यों है
मैं बहुत परेशान हो रहा हूँ
आंखें खुली थी मेरी
इसलिए वो ललचा रही हैं
खुद सुन सके तू खुद की
सब खेल वो रच रहा है
समझ गया तो बहुत खूब
नहीं तो.......
फिजूल सफर गुजर रहा है
तुझे क्या हो गया......
बालकृष्ण डी. ध्यानी
तुझे क्या हो गया
क्यों नाराज है तू खुद से
क्या करूं, क्या ना करूं?
आज फिर बोल दे तू खुद से
बिलकुल करीब है वो
अनुभव ऐसा क्यों हो रहा है
कौन है वो ? अहसास
जो मेरे भीतर से बोल रहा है
तू इतनी दूर क्यों है
मैं बहुत परेशान हो रहा हूँ
आंखें खुली थी मेरी
इसलिए वो ललचा रही हैं
खुद सुन सके तू खुद की
सब खेल वो रच रहा है
समझ गया तो बहुत खूब
नहीं तो.......
फिजूल सफर गुजर रहा है
तुझे क्या हो गया......
बालकृष्ण डी. ध्यानी

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