मे बान
विंगे सकि ना मि
वो आँख्यूं कि भाषा
हजार अर्थ लुक्यां
मे बान सबि ब्यर्थ फुक्यां
साँठि कि रखि
जिकुड़ि मा तिन माया
जोड़े जोड़े कि संसार
बल बता तिल क्या पाया
अपड़ा गीतों मां यखुलि
सदनि त्वे खोज्दा रयूं
स्फेद बादळ बणि
फुर्र फुर्र ऊड़दा रयूं
त्वे ते दुःख सिबा
कुच ना मिल दे स्की
मेरि सेवा कैरि कि
बल तिल क्या पाई
विंगे सकि ना मि
बालकृष्ण डी. ध्यानी
विंगे सकि ना मि
वो आँख्यूं कि भाषा
हजार अर्थ लुक्यां
मे बान सबि ब्यर्थ फुक्यां
साँठि कि रखि
जिकुड़ि मा तिन माया
जोड़े जोड़े कि संसार
बल बता तिल क्या पाया
अपड़ा गीतों मां यखुलि
सदनि त्वे खोज्दा रयूं
स्फेद बादळ बणि
फुर्र फुर्र ऊड़दा रयूं
त्वे ते दुःख सिबा
कुच ना मिल दे स्की
मेरि सेवा कैरि कि
बल तिल क्या पाई
विंगे सकि ना मि
बालकृष्ण डी. ध्यानी
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