आँख्यूं मां
आँख्यूं मां ठैरियूं समुदर
टिप टिप कैरि आनू होलो भैर
वो अदा अपुरा रयां सुपनिया
आज ऐकी अप्डी ब्यथा लगाणु छ
ब्याळ रात मां सैद सैलाब गुजरि
अखौल कूड़ा छुई लगाणा छन
कुच लोक बोल्दा उजाड़ वों ते
पर सुणा वख घुघूती घुरन्दी छ
परीक्षा लेणू व्हाळु बगत अप्डू
वै भाना वो पीड़ा विधा सिकणु छ
वै बगत जिकुड़ी टुटी जांदी होली
जबै बाबा समण छवार गुरादूं छ
ध्यानी डैरी ना जबै क्वी ना दे गवै
चाक़ू खुद समण ऐकी साक्ष्य देणु छ
आँख्यूं मां ठैरियूं समुदर
बालकृष्ण डी. ध्यानी
आँख्यूं मां ठैरियूं समुदर
टिप टिप कैरि आनू होलो भैर
वो अदा अपुरा रयां सुपनिया
आज ऐकी अप्डी ब्यथा लगाणु छ
ब्याळ रात मां सैद सैलाब गुजरि
अखौल कूड़ा छुई लगाणा छन
कुच लोक बोल्दा उजाड़ वों ते
पर सुणा वख घुघूती घुरन्दी छ
परीक्षा लेणू व्हाळु बगत अप्डू
वै भाना वो पीड़ा विधा सिकणु छ
वै बगत जिकुड़ी टुटी जांदी होली
जबै बाबा समण छवार गुरादूं छ
ध्यानी डैरी ना जबै क्वी ना दे गवै
चाक़ू खुद समण ऐकी साक्ष्य देणु छ
आँख्यूं मां ठैरियूं समुदर
बालकृष्ण डी. ध्यानी
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