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काठगोदामौ बल मि क्य छौं?-PUZZLE-21 JAGMOHAN SINGH RAWAT 'JAGMORA''. GARHWALI PUZZLE


काठगोदामौ बल मि क्य छौं?-

PUZZLE-21 

JAGMOHAN SINGH RAWAT 'JAGMORA''.

GARHWALI PUZZLE

बल डालु ठक ठक ठक

क्वो लछ्याणू बल यख

बल क्वी बी लकड्यलो

नी दिख्याणू  बल  यख

ठकरौं  कि  ठोकर   मा

होंद    सर्यो     जमानो

कठफोड़ु कठमलि  मा

घोळ  बणै  कि  खाणो

भावार्थ

अलाणा-फलाणा (अमुक) अपने काठगोदाम (कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले के मैदानी क्षेत्र) में कार्यरत लकड्यलो यानी लकड़हारे की मेहनत मशक्कत जिंदगी की भूमिका स्वरूप अपनी बात को पहेली के प्रथम चरण में आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल जंगलात का पतरोल (फॉरेस्ट गार्ड) पेड़ के कटने की आवाज को सुनकर अंदाजा लगाते हुए मन ही मन में कह रहा है कि बल डाली ठक ठक ठक, कौन लछ्याणू (काट रहा है) बल यहां?, बल कोई भी लकड्यलो (लकड़हारा), नहीं दिखाई दे रहा है बल यहां, तो बल ठाकुरों की ठोकर में, होता है सारा जमाना, कठफोड़ु (कठफोड़वा) कठमलि (न देशी न पहाड़ी, गंजगंजो बाड़ी, यानी मिक्स्ड कल्चर्ड) में, अमुक का घोळ (घोंसला) बना के खाना। 


बल जु बिरणु  मन्नै  छौ

त  पट  मार  दीण   छौ

कुकर  बिरळै  लड़ै  मा

म्वरि  बिरळौ  बड़ै   मा

दूध खत्युं सब्युन द्याख

बिरळो म्वर्युं  नी  द्याख

सयानि बिर्ळि खंबनोचु

हैं का  ब्यो  खुण  सोचु

भावार्थ

अमुक भ्रामकता के मकड़जाल में फंसाते हुए पहेली के दूसरे भ्रामक चरण में अपनी बात को 'कुत्ते बिल्ली के बैर' के संदर्भ में आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल जो बिरणु (पराया) मारना था, तो पट (जान से) मार देना था, यानी जो भी काम करना है उसे तन्मयता से परिपूर्ण करना चाहिए, बेमन से आधा अधूरा नहीं, तो बल कुकर बिरळै (बिल्ले) की लड़ाई में, मरा बिरळौ (बिल्ला) बड़ाई (दूध पीने के घमंड) में, तो बल दूध खता हुआ सबने देखा, बिरळो (बिल्ले) का मरा किसी ने भी नहीं देखा?, तो बल सयानी बिल्ली बल खंबा नोचे, हैंका (दूसरे) ब्यो खुण (विवाह) की सोचे। 


बल  जो  ब्वै  मौस्याण

त  बुबा  बल  कठबाबु

जु जिंदगि ह्वै औस्याण

त   चूंच    ह्वै    बेकाबु

काठै बिर्ळि मि बणोलु

म्याउं म्याउं क्वु करौलु

कठबिरळी मि खुजौलु

ता घोळ बि मि बणौलु

भावार्थ

अमुक भ्रामकता के मकड़जाल से बाहर निकाल कर संवेदनात्मक एवं भावनात्मक स्वरूप अपनी बात को पहेली के तीसरे चरण में आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल जो ब्वै (बिल्ली माँ) मौस्याण (सौतेली माँ), तो बाप बल कठबाबु (सौतेला बाप), तो बल जो जिंदगी हुई औस्याण (अमावस की तरह अंधियारी अशुभ), तो अमुक की चोंच हुई    बेकाबु, तो बल काठ की बिल्ली वह (अमुक) बनाएगा, पर म्याउं म्याउं कौन करेगा?, यानी काम करने का तरीका तो वह बताएगा, मगर काम को पूरा करने के लिए कोई तो चाहिए, और बल कठबिरळी (गिलहरी) वह (अमुक) खोजकर लाएगा, तो घोळ (घोसला जो पहले अमुक के काम आए, बाद में गिलहरी के भी काम आए, ऐसा घोसला) भी वह (अमुक) बनाएगा, यानी अमुक एक पंथ दो काज में सिद्धहस्त है। 


बल  मेरी  ड्रिलिंग   मा

फौजिदस्ता ड्रिलकर्दन

अर  मेरी   ड्रमिंग   मा

फौजि बैंड ड्रम बज्दन

पंखधारि    मुकुटधारि

चूंच    हथोडा     आरि

राठि काठि  फोड़ा  छौं

काठगोदामौ मि क्यछौं?

भावार्थ

अमुक पहेली के चौथे अंतिम निर्णायक चरण में अपनी संरचनात्मक विशेषताओं का बखान करते हुए आगे कहता है कि बल अमुक की चोंच से ड्रिलिंग में, फौजी दस्ता ड्रिल करते हैं, और उसकी (ठक ठक ठक की) ड्रमिंग में, फौजी बैंड ड्रम बजाते हैं, यानी वह फौजी दस्ते का हवलदार ट्रैनर और बैंड मास्टर है। अंत में अमुक पहेली के अनुसार अपनी बात को प्रश्नात्मक शैली में आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बल वह पंखधारी मुकुटधारी, उसकी चोंच है हथोडा आरी, तो बल राठि (पौड़ी जिले के राठ क्षेत्र का रैबासी) काठि (काठि अखोड़, यानी सख़्त अखरोट जैसी कठोर चीजों का) फोड़ा (फोड़ने वाला) है, तो बताओ कि काठगोदाम का (लकड़हारा) बल वह क्या है?

जगमोहन सिंह रावत 'जगमोरा'

प्रथम गढ़गीतिकाव्य पजलकार

मोबाइल नंबर-9810762253


नोट:- पजल का उत्तर एक शातिर चित्तचोर की तरह अपनी ओपन निशानदेही के चैलेंज के साथ छंदबद्ध स्वरूप पजल में ही अंतर्निहित तौर पर छिपा हुआ होता है

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